गोखरू एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जो भारतीय जंगलों और खेतों के आसपास बहुतायत में पाई जाती है। गोखरू या 'ट्रिब्युलस टेरेस्ट्रिस, लैंड कैल्ट्रॉप्स' जमीन पर कहीं भी उगने वाला एक छोटा पौधा है।
आषाढ़ और श्रावण के महीने में आपको कहीं भी खाली जमीन पर या जंगलों में नजर आ जाएगी। इस सरल और छोटे पौधे में अद्भुत औषधीय गुण हैं।
गोखरू पौधे की पहचान
गोखरू अगस्त से दिसंबर तक फलता-फूलता है। इनकी लंबाई लगभग 1 मीटर से लेकर डेढ़ मीटर तक हो सकती है।
गोखरू आसानी से पहचाना जाता है। यह उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी इलाकों दोनों में पाया जाता है। गोखरू के पत्ते खंडित होते हैं और फूल पीले रंग के होते हैं। इसके फल कांटों से भरपूर होते हैं। इसके फल का आकार चने के दाने के बराबर होता है, जिस पर कांटे होते हैं।
गोखरू को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे-
गोक्षुरक, त्रिकांत, हाथीचिकार, बेतागोखरू, नेरिन्जिकाई, बखरा, लोटक, लोहांगोखरू, बस्तीताज, मसक, खरेखसक आदि।
गोखरू पोषण मूल्य
गोक्षुरा के अंदर कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो वीर्यवर्धक, शक्तिवर्धक और मूत्र संबंधी गुणों से भरपूर होते हैं। इसके अंदर आपको मुख्य रूप से कैल्शियम, पोटैशियम, सोडियम, फ्लेवोनॉयड, प्रोटीन, नाइट्रेट, विटामिन सी, आयरन विटामिन ए आदि पाया जाता है।
वहीं, इसके अंदर मुख्य रूप से क्वेरसेटॉन, कैमेफेरोल, सैपोनिन शामिल होते हैं।